रामलीला अनुपगढ

श्री हनुमान नाट्य कला केंद्र अनुपगढ द्वारा रामलीला का शानदार आयोजन किया जा रहा हे कल लीला का बारहवा दिन था जिसमे पवनपुत्र हनुमान द्वारा माता सीता की खोज लंका दहन सहित अनेक मनमोहक द्रश्य दिखाए गये अनुपगढ के गणमान्य नागरिकों सहित हजारों दर्शको ने शांतिपूर्ण बैठकर लीला का आनन्द लिया राम रावण मेघनाथ पवनपुत्र हनुमान व् माता सीता का कलाकारों ने शानदार रोल अदा किया कलाकारों के बोलने देखने बॉडी रियक्शन के तालमेल की दर्शको ने खूब प्रसंशा की सभी कलाकार व् कार्यकर्ता देनिक कार्य से जुड़े हुये हे जो अपने देनिक कार्य निपटाने के बाद लीला की तेयारी हेतु शाम पांच बजे लीला स्थल पर पहुंच जाते हे व् रात तीन बजे तक कड़ी महनत कर हम तक मनमोहक द्रश्य पहुंचाते हे अगले दिन फिर अपने रोजमर्रा कार्य पर जाते हे इसलिए जनचेतना आपसे अपील करता हे कलाकारों व् कार्यकर्ताओ की होंसला अफजाई हेतु लीला का आनन्द लेने आप परिवार सहित जरुर पहुंचे वही दयाराम लिम्बा अपने यूट्यूब चेनल दया ब्लॉग पर लीला का लाइव प्रसारण दिखाते हे

जिस पर आप घर बेठे भी लीला का आनंद ले सकते हे कार्यकर्ताओ द्वारा महिलाओ व् पुरुषों के बेठने हेतु अलग अलग व्यवस्था की गई हे वही गणमान्य नागरिकों के अलग से बेठने की व्यवस्था की गई हे लीला देखने के साथ साथ प्राचीन संस्कार सिखने का भी प्रयास करे राम का रोल श्याम सुंदर रावण जगदीश गोयर एडवोकेट मेघनाथ सन्नी धुआ पवनपुत्र हनुमान मनोज चोधरी अदा कर रहे हे व्यवस्था गोरव कोठारी अजय सांखला देख रहे हे मंच संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता तिलक चुघ व् परमानन्द गोड कर रहे हे सुरीला म्यूजिक मनीराम मस्ताना पार्टी साउंड सेवा छाबड़ा डीजे मेकअप लवप्रीत सिंह चहल खुले दिल से फंड कुशाल चुचरा अमित गोल्यान व् अनेक शहरवासी दे रहे हे मार्गदर्शन लीला के पुराने कलाकार बंशी सारस्वत दे रहे हे इसके इलावा और बहुत से कलाकार व् कार्यकर्ता अपना सहयोग दे रहे हे

जनचेतना कार्यकर्ताओ से भी अपील करता हे की आप अपने आप को कलाकारों की भांति लीला के रंग में रंगने का प्रयास करे सोभाग्य से आपको ये दिन प्राप्त हुये हे इसलिए पन्द्रह दिन रामयुग का भरपूर आनन्द लेवे प्रत्येक कार्यकर्ता सिर पर माता की चुनरी व् गले में राम नाम का पटका माथे पर तिलक धारण करे क्योंकि लीला में भगवान श्रीराम स्वंय हमारे सामने विराजमान होते हे जोत की थाली पकड़ने वाला कार्यकर्ता इसका विशेष ध्यान रखे इससे अध्यात्मिक माहोल बनता हे जिससे दर्शक लीला में आने व् बेठे रहने हेतु प्रेरित होते हे व् माँ लक्ष्मी भी आती हे लीला का प्रसाद थेली में नही किसी बर्तन में डालकर कपड़े से ढककर ही वितरित करे इससे इश्वर की क्रपा बरसती हे रामलीला में मनोरंजन के साथ साथ हमारे मानसिक व् शारीरिक दुःख भी दूर होते हे
