Shaheed-e-Azam Bhagat Singh Special on Martyrdom Day: Hundreds of salutes to the immortal martyr


“सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है!”
“क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।” – शहीद भगत सिंह
भारत माता के अमर सपूत को श्रद्धांजलि – इंटरनेशनल बाइक राइडर मलकीत सिंह चहल की ओर से विशेष सम्मान
अनुपगढ- आज भारत के इतिहास का वह दिन है, जिसने पूरे स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। आज से 94 वर्ष पहले, 23 मार्च 1931 को, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फाँसी पर चढ़ा दिया था। लेकिन वे मरे नहीं, बल्कि अपने विचारों के रूप में आज भी हर भारतीय के दिलों में जिंदा हैं।
मैं, मलकीत सिंह चहल इंटरनेशनल बाइक राइडर भारत की संस्कृति, सभ्यता और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए समर्पित हूँ। आज, भगत सिंह के शहीदी दिवस पर, मैं उनकी याद में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और उनके बलिदान की गाथा को देशभर में फैलाने का संकल्प लेता हूँ।
कौन थे शहीद भगत सिंह? भारतीय क्रांति की अमर गाथा
बचपन से ही आज़ादी का सपना
शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गाँव (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके परिवार के लोग पहले से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे। जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) ने उनकी चेतना को झकझोर दिया और वे भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष में कूद पड़े।
क्रांति की ज्वाला और देश के लिए बलिदान
1926 में, उन्होंने नौजवान भारत सभा का गठन किया, जिसने युवाओं को अंग्रेजों के खिलाफ संगठित किया।
1928 में, उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) जॉइन किया और क्रांतिकारी गतिविधियों को तेज़ किया।
30 अक्टूबर 1928 को, जब ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स ने लाला लाजपत राय पर लाठियाँ बरसाईं, जिससे उनकी मृत्यु हो गई, तब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने सॉन्डर्स को मौत के घाट उतार दिया।
8 अप्रैल 1929 को, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश असेंबली में बम फेंका और नारा लगाया –
“बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है!”
23 मार्च 1931 को, मात्र 23 वर्ष की आयु में, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी।
फाँसी के वक्त भी वे मुस्कुरा रहे थे और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे!

भगत सिंह के विचार जो आज भी प्रासंगिक हैं
“मेरे जीवन का लक्ष्य समाज में क्रांति लाना है, ताकि हर नागरिक को समान अधिकार मिल सके।”
“देशभक्ति का अर्थ केवल अंग्रेजों से आजादी नहीं है, बल्कि एक समान समाज की स्थापना भी है।”
अगर बहरों को सुनाना है तो आवाज को बहुत ऊँचा करना होगा!”
“बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, बल्कि विचारों से क्रांति आती है।”

आज की युवा पीढ़ी को भगत सिंह के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए और जात-पात, धर्म, भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर भारत को सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाने में योगदान देना चाहिए।

मलकीत सिंह चहल की ओर से विशेष संदेश

“मैं, मलकीत सिंह चहल, अपनी बाइक यात्रा के माध्यम से भारत की ऐतिहासिक धरोहरों, संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखने का प्रयास कर रहा हूँ। शहीद भगत सिंह जी के बलिदान को याद कर, मैं सभी देशवासियों से अपील करता हूँ कि वे उनके आदर्शों को अपनाएँ और देश के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करें।”
“भगत सिंह का सपना था कि भारत सिर्फ अंग्रेजों से आज़ाद न हो, बल्कि एक न्यायपूर्ण समाज बने, जहाँ सभी को समान अवसर मिलें। हमें उनके बलिदान को सिर्फ एक इतिहास की कहानी न मानकर, बल्कि एक मिशन के रूप में अपनाना चाहिए।”
“जनचेतना इंडिया टूर के माध्यम से, मैं देश के कोने-कोने में जाकर भारत के गौरवशाली इतिहास को उजागर कर रहा हूँ और आने वाली पीढ़ियों को जागरूक कर रहा हूँ।”

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