History First Guru Nanak Dev Ji @SH#EP=04

          फोटो-धन धन गुरुनानक देव जी के पवित्र चोला साहिब व् सुखदेव सिंह जी वेदी वंशज गुरुनानक देव जी सोलवी पीढ़ी जनचेतना टीम को सरोपा भेंट कर आश्रीवाद प्रदान करते हुये

  जन्म(प्रकाश)

(15 अप्रेल 1469 से 22सितंबर1539)

गुरुनानक देव जी का जन्म रायभोये दी  तलवण्डी जिला शेखपुरा पाकिस्तान  नामक गाँव में 15 अप्रेल 1469 को हुआ बाद में इसे 30 अक्तूबर 1469 कार्तिक पूरिंमा को मनाया जाने लगा जो अक्टूबर-नवम्बर में दीवाली के 15 दिन बाद आती है। इनके पिता का नाम मेहता कालूचन्द खत्री तथा माता का नाम माता तृप्ता था। तलवण्डी का नाम आगे चलकर गुरुनानक देव जी के नाम पर ननकाना साहिब पड़ गया।गुरुनानक देव जी की बहन का नाम नानकी था।दई का नाम दोलता था जिसने जन्म के समय ही बता दिया था यह बालक कोई रबी अवतार हे

शिक्षा

बचपन से इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। बालपन से ही ये सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। पढ़ने-लिखने में इनका मन नहीं लगा। 7-8 साल की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत्प्राप्ति के सम्बन्ध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हार मान ली तथा वे इन्हें ससम्मान घर छोड़ने आ गए व् बोले पटवारी जी इस बालक को हम नही पढ़ा सकते क्योंकि यह बालक तो हमे पढ़ाने लग जाता हे तत्पश्चात् सारा समय गुरुनानक देव जी आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएँ घटीं जिन्हें देखकर गाँव के लोग इन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे। बचपन के समय से ही इनमें श्रद्धा रखने वालों में इनकी बहन नानकी तथा गाँव के शासक राय बुलार थे।

विवाह  

गुरुनानक देव जी का विवाह बालपन मे सोलह वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के अन्तर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहनेवाले भाई मूला की कन्या माता सुलक्खनी से हुआ था। 32 वर्ष की अवस्था में इनके प्रथम पुत्र श्रीचन्द का जन्म हुआ। चार वर्ष पश्चात् दूसरे पुत्र लख्मीचंद का जन्म हुआ। दोनों लड़कों के जन्म के उपरान्त 1507 में गुरु नानकदेव जी अपने परिवार का भार अपने ससुर पर छोड़कर भाई बाला और मरदाना को साथ लेकर तीर्थयात्रा के लिये निकल पड़े

जीवनकाल

गुरुनानक देव जी सिखी के संस्थापक थे गुरुनानक देव जी चारों ओर घूमकर उपदेश करने लगे। 1521 तक गुरुनानक देव जी ने चार उदासिया की  जिनमें भारतअफगानिस्तानफारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। जिन्हें  पंजाबी में “उदासियाँ” कहा जाता हे गुरुनानक देव जी मूर्तिपूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही कुरीतियों और कुसंस्कारों के विरोध में रहें। नानक जी के अनुसार ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही है। तत्कालीन इब्राहीम लोदी ने इनको कैद तक कर लिया था। आखिर में पानीपत की लड़ाई हुई  जिसमें इब्राहीम हार गया और राज्य बाबर के हाथों में आ गया। तब इनको कैद से मुक्ति मिली। 

मुर्त्यु(ज्योति जोत)

जीवन के अन्तिम दिनों में गुरुनानक देव जी की ख्याति बहुत बढ़ गई और इनके विचारों में भी परिवर्तन हुआ। स्वयं ये अपने परिवार वर्ग के साथ रहने लगे और मानवता कि सेवा में समय व्यतीत करने लगे। उन्होंने करतारपुर नामक एक नगर बसाया, जो कि अब पाकिस्तान में है और एक बड़ी धर्मशाला उसमें बनवाई।करतारपुर में गुरुनानक देव जी ने 18 साल तक स्वंय खेती भी की थी इसी स्थान पर आश्वन कृष्ण १०, संवत् १५९७ (22 सितम्बर 1539 ईस्वी) को गुरुनानक देव जी का परलोक वास हुआ।

मृत्यु से पहले गुरुनानक देव जी ने अपने दोनों पुत्रों को गुरता गद्दी न देकर अपने शिष्य भाई लहना जी की सेवा से प्रश्न होकर गुरता गद्दी दी गई जो  गुरुअंगद देव के नाम से जाने गए।गुरुनानक देव जी सिखी के संस्थापक व् सिखों के प्रथम गुरु थे गुरुनानक देव जी को सर्व धर्म गुरु की उपलब्धी भी हासिल हे क्योंकि उन्हें सिखों के साथ साथ हिंदू व् मुसलमान भी गुरु मानते हे

गुरुनानक देव जी के जीवन से जुड़े प्रमुख गुरुद्वारा साहिब

1. गुरुद्वारा कन्ध साहिब- बटाला (गुरुदासपुर) गुरु नानक का यहाँ माता सुलखनी से 16  वर्ष की आयु में संवत्‌ 1544 की 24वीं जेठ को विवाह हुआ था। यहाँ गुरुनानक की विवाह वर्षगाँठ पर प्रतिवर्ष उत्सव का आयोजन होता है।

2. गुरुद्वारा हट साहिब- सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) गुरुनानक देव जी के बहनोई जैराम के माध्यम से सुल्तानपुर के नवाब के यहाँ शाही भण्डार के देखरेख की नौकरी प्रारम्भ की।गुरुनानक देव जी को यहाँ पर मोदी बना दिए गए। नवाब युवा गुरु नानकदेव  से काफी प्रभावित थे। यहीं से गुरु नानक देव जी  को ‘तेरा’ तेरा शब्द के माध्यम से अपनी मंजिल का आभास हुआ था

3. गुरुद्वारा गुरु का बाग- सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) यह गुरु नानकदेवजी का घर था, जहाँ उनके दो बेटों बाबा श्रीचन्द और बाबा लख्मीचंद का जन्म हुआ था।

4. गुरुद्वारा कोठी साहिब- सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) नवाब दौलतखान लोधी ने हिसाब-किताब में ग़ड़बड़ी की आशंका में गुरु नानकदेवजी को जेल भिजवा दिया। लेकिन जब नवाब को अपनी गलती का पता चला तो उन्होंने नानकदेवजी को छोड़ कर माफी ही नहीं माँगी, बल्कि प्रधानमन्त्री बनाने का प्रस्ताव भी रखा, लेकिन गुरु नानक ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

5.गुरुद्वारा बेर साहिब- सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) जब एक बार गुरु नानक अपने सखा मर्दाना के साथ वैय  नदी के किनारे बैठे थे तो अचानक उन्होंने नदी में डुबकी लगा दी और तीन दिनों तक लापता हो गए, जहाँ पर कि उन्होंने ईश्वर से साक्षात्कार किया। सभी लोग उन्हें डूबा हुआ समझ रहे थे, लेकिन वे वापस लौटे तो उन्होंने कहा- एक ओंकार सतिनाम। गुरु नानक ने वहाँ एक बेर का बीज बोया, जो आज बहुत बड़ा वृक्ष बन चुका है।

6. गुरुद्वारा अचल साहिब- गुरुदासपुर उदासी के दौरान गुरु नानकदेव जी यहाँ रुके और नाथपन्थी योगियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ के साथ उनका धार्मिक वाद-विवाद यहाँ पर हुआ। योगी सभी प्रकार से परास्त होने पर जादुई प्रदर्शन करने लगे। नानकदेवजी ने उन्हें ईश्वर तक प्रेम के माध्यम से ही पहुँचा जा सकता है, ऐसा बताया।

7. गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक-जीवन के अंतिम पड़ाव में गुरुनानक देव जी करतारपुर रहते थे करतारपुर में गुरुनानक देव जी ने स्वंय खेती भी की थी तब वे डेरा बाबा नानंक में स्थित कुआ पर अकसर आया करते थे और संगत को उपदेश दिया करते थे वो प्राचीन कुआ आज भी मोजूद हे जिसके अम्रत मई जल ग्रहण करने से अनेक दुःख दूर होते हे वही पर गुरुद्वारा साहिब सुभायेमान हे 70 वर्ष की साधना के पश्चात सन्‌ 1539 ई. में परम ज्योति में विलीन हो गये

8-गुरुद्वारा चोला साहिब डेरा बाबा नानक-डेरा बाबा नानक में ही गुरुद्वारा चोला साहिब सुभायेमान हे जहा पर गुरुनानक देव जी का पवित्र चोला सुभायेमान हे जो गुरुनानक जी अकसर पहना करते थे वही बहन नानकी के हाथों से निकाला हुआ रुमाल भी हे जो उन्होंने गुरुनानक देव जी को दिया था गुरुनानक देव जी के वंशज आज भी गुरुद्वारा चोला साहिब रहते हे गुरुनानक देव जी की सोहलवी पीढ़ी बाबा सुखदेव सिंह जी वेदी से जनचेतना की मुलाकात भी हुई जिन्होंने धन धन गुरुनानक देव जी का इतिहास बताया

साखी

श्री नानक जी के गुरु जी कौन हैं ? इस विषय पर अभी तक भ्रान्तियाँ थी। सिख समाज का मानना है कि श्री नानक देव जी का कोई गुरु नहीं था। सिख समाज का यह भी मानना है कि भाई बाले ने जो कुछ भी जन्म साखी बाबा नानक की में लिखा है। वह बाबा नानक जी के वचन हैं या अन्य किसी सिद्ध या संत से की गई गोष्ठी यथार्थ को रूप में लिखा है।

आओ ‘‘भाई बाले वाली जन्म साखी’’ से जाने की श्री नानक देव जी का गुरु जी कौन था ?

भाई बाले वाली जन्म साखी (हिन्दी भाषा वाली) के पृष्ठ 280-281 ‘‘साखी और चली’’ में श्री नानक जी ने कहा है कि ‘‘मर्दाना मुझे उस ईश्वर ने इतना बड़ा गुरु मिलाया है जो करतार का ही रूप है। मर्दाने ने कहा हे महाराज जिस गुरु का आपने जिक्र किया है,  

उनका नाम क्या है? तब गुरु नानक जी ने कहा मरदाना उनका नाम बाबा जिंदा है। जहां तक जल और पवन है, उसके हुकुम में चलते हैं। और अग्नि और मिट्टी भी उसके हुकुम में हैं। जिसको बाबा जिंदा मिलेगा उसको बाबा बोलना चाहिए, और किसी को बाबा नहीं कहना चाहिए। तब मरदाने ने कहा गुरुजी हम तो आपके साथ ही फिरते हैं, फिर आपको वो कब मिला है। तब गुरु नानक जी ने कहा मरदाना जब हम उनसे मिलने गए थे उस वक्त तुम हमे नहीं मिले थे। तब गुरु जी ने कहा जब हमने सुल्तानपुर में डुबकी लगाई थी तब मरदाना हम तीन दिन उसके पास रहे थे। मरदाना वो ऐसा गुरु है जिसकी सता सम्पूर्ण जगत को सहारा दे रही है और मरदाना जिंदा उसको कहते हैं जो काल के वश ना हो बल्कि काल उसके वश होता है। तब मरदाने ने कहा जी उसका रंग क्या है और उसका आसन कहाँ है। तब गुरु जी ने कहा उसका रंग लाल है पर उस लाली से कोई भी लाली मिलती नहीं है और उसके रोम स्वर्ण के रंग के हैं पर उसके साथ सोना भी मेल नहीं खाता। और जुबान से बोलता भी नहीं और रोम रोम में ये ही शब्द हो रहा है गहर गंभीर गहर गंभीर तब मरदाने ने कहा धन्य हो गुरु जी आपके बिना ये हमारी शंका दूर कौन करे

By-Malkeet Singh Chahal

Share:

More Posts

History Gurudwara Chamkaur Sahib@SH#EP=122

                            गुरुद्वारा चमकौर साहिब जिला रोपड़ यह एतिहासिक गुरुद्वारा  चमकौर साहिब के एतिहासिक युद्ध की गवाही भरता है| दिसंबर

History Gurudwara Fatehgarh@SH#EP=121

                                          गुरूद्वारा_फतेहगढ़_साहिब सरहंद जिला फतेहगढ़भारत के पंजाब राज्य में पटियाला से 50 किलोमीटर चंडीगढ़ से 50 किलोमीटर दूर फतेहगढ़ 

History Gurudwara morinda@SH#EP=120

                                      कोतवाली मोरिंडा   गुरुद्वारा श्री कोतवाली साहिब शहर के ऐतिहासिक महत्व को जोड़ता है। यह वह जेल (कोतवाली) थी जहां

History Gurudwara shedi@SH#EP=119

                                                   इतिहास गंगू ब्राह्मण सहेडी गंगू  एक ब्राह्मण, आनंदपुर साहिब में एक सेवादार था जो गुरु घर में