इतिहास जिला बांसवाडा
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बांसवाड़ा भारत के राजस्थान राज्य का एक ज़िला है। बासंवाडा जिला राजस्थान के दक्षिणी भाग मे गुजरात व मध्य प्रदेश की सीमा से लगता हुआ जिला है। इसे राजस्थान का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहाँ का मुख्य आकर्षण माही नदी है, जो मध्य प्रदेश से होती हुई माही बांध तक आती है, माही नदी बासंवाडा जिले की जीवन वाहिनी है। यहाँ पर मुख्यतः वागडी भाषा बोली जाती है, जिले के प्रमुख कस्बे कुशलगढ़, परतापुर, बागीदौरा, घाटोल, अरथुना है। जंगल बहुतायत में हैं और यहाँ पर लकड़ी, वनस्पति आदि प्रचुर मात्रा में मिलती है।
बांसवाड़ा नाम के मूल स्रोत को लेकर दो धारणाएँ हैं। एक के अनुसार इस क्षेत्र में बंसिया नामक भील शासक हुआ करते थे, जिनका राज सन् 1529 तक यहाँ महारावल जगमाल सिंह का शासन आने तक रहा। दूसरी के अनुसार यहाँ बाँस के घने वन होने के कारण क्षेत्र का नाम बांसवाड़ा पड़ा।
ज़िले का नाम इस क्षेत्र में स्थित भूतपूर्व बांसवाड़ा रियासत थी। नवम्बर 1913 में पश्चिमी बांसवाड़ा में यहाँ गोविन्द गुरू बंजारा के नेतृत्व में ब्रिटिश राज के विरुद्ध चल रहे भील विद्रोह को ब्रिटिश सरकार ने मानगढ़ हत्याकांड में डेढ़ हज़ार लोगों को मारकर कुचला। नवम्बर 2022 में मानगढ़ में एक स्मारक स्थापित कराया गया, जिसे एक राष्ट्रीय स्थापत्य घोषित करा गया।
बांसवाड़ा के आसपास का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में समतल और उपजाऊ है, माही बांसवाड़ा की प्रमुख नदी है। मक्का, गेहूँ और चना बांसवाड़ा की प्रमुख फ़सलें हैं। बांसवाड़ा में लोह-अयस्क, सीसा, जस्ता, चांदी और मैंगनीज पाया जाता है। इस क्षेत्र का गठन 1530 में बांसवाड़ा रजवाड़े के रूप में किया गया था और बांसवाड़ा शहर इसकी राजधानी था। 1948 में राजस्थान राज्य में विलय होने से पहले यह मूल डूंगरपुर राज्य का एक भाग था।
बांसवाड़ा के पूर्व में प्रतिवेशी पहाड़ियों द्वारा बने एक गर्त में बाई तालाब नाम से ज्ञात एक कृत्रिम तालाब है जो महारावल जगमाल की रानी द्वारा निर्मित बताया जाता है। लगभग 1 किलोमीटर दूर रियासत के शासकों की छतरियां हैं। कस्बे में कुछ हिन्दू व जैन मन्दिर व एक पुरानी मस्जिद भी है। अब्दुल्ला पीर दरगाह निकटस्थ ग्राम भवानपुरा में स्थित है। इस स्थान पर प्रतिवर्ष बोहरा सम्प्रदाय के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं। माही परियोजना बांध की नहरों में पानी वितरण के लिए शहर के पास निर्मित कागदी पिक-अप-वियर है जो सैलानियों के लिए आकर्षण का मुख्य केन्द्र है।बांसवाडा जिले मे तलवाङा नामक गांव के निकट मंदिर की गदाधर की मूर्ति पर सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह का लेख है संभवतः यह मूर्ति गुजरात से लायी गयी हो या जयसिंह का संबंध इस प्रांत से रहा हो।
बांसवाड़ा की भौगोलिक स्थिति इस तरह से है कि इस जिले में तीन तरफ माही नदी बहती है, लेकिन एक तरफ ही खुला हुआ है। माही नदी मध्यप्रदेश से निकलती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है। जहां गेमन पुल है, उसके पूर्वी भाग का कुछ क्षेत्र छोड़ दिया जाए तो आगे से माही नदी जिले के उत्तर, पश्चिमी और दक्षिणी की ओर गुजरती है।
बांसवाड़ा ने अपने हरे-भरे जंगलों, प्राकृतिक झरनों और सुरम्य परिदृश्यों के कारण राज्य के सबसे हरे-भरे स्थानों में से एक के रूप में अपनी प्रतिष्ठा अर्जित की है। इसे राजस्थान का चेरापूंजी उपनाम भी मिला है। बांसवाड़ा की प्राकृतिक सुंदरता ही इसका सबसे बड़ा आकर्षण है।
इस क्षेत्र से बहने वाली माही नदी पर स्थित कई छोटे द्वीपों के कारण इस शहर को ‘सौ द्वीपों का शहर’ भी कहा जाता है। हरी-भरी हरियाली, बहती नदी और बांध से घिरा, बांसवाड़ा शहरी जीवन की हलचल भरी भीड़ से मुक्ति का एक शानदार अवसर है।
- बेणेश्वर मेला सोम, माही और जाखम नदी के संगम तट पर बसे बेणेश्वरधाम पर माघ शुक्ल पूर्णिमा पर भरता है मेला बेणेश्वर मेला वागड़ ही नहीं संभाग और राज्य का प्रसिद्ध मेला माना जाता है।
जनसंख्या
सन् 2011 की कुल जनसंख्या 17,97,485 थी, जिसमें से पुरूष 9,07,754 और स्त्रियाँ 8,89,731 थीं। शहरी जनसंख्या 1,27,621 थी और ग्रामीण जनसंख्या 16,69,864। दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर 26.50% और जनसंख्या घनत्व 397 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ था। लिंगानुपात 980 था, यानि 1000 पुरुषों के अनुपात में 980 महिलाएँ थीं। कुल साक्षरता दर 56.3% था।
दर्शनीय स्थल
- आनंद सागर झील महारावल जगमल सिंह की रानी लंची बाई द्वारा इस झील का निर्माण किया गया था। …
- अब्दुल्ला पीर यह बोहरा मुस्लिम संत अब्दुल रसूल की लोकप्रिय मज़ार है। …
- अन्देश्वर पार्श्वनाथजी जी बांसवाड़ा से 40 कि. …
- रामकुण्ड …
- विठ्ठल देव मंदिर …
- डायलाब झील …
- कागदी पिक अप वियर …
- माहीबांध
भाषा
हिंदी राजस्थानी
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