इतिहास दरबार साहिब तरनतारन पंजाब
तरनतारन शहर को पांचवे गुरु अर्जुन देव जी ने बसाया। गुरु जी ने दो गांव खारा और पलासौर की जमीन 1,57000 मोहरे देकर खरीदी और ताल की खुदवाई की और शहर की सथापना की जिसका नाम तरनतारन रखा गया। तरनतारन साहिब का सरोवर पंजाब के गुरुद्वारों में सबसे बड़ा सरोवर हैं। तरनतारन सरोवर की परिक्रमा को शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह ने पकका करवाया और दरबार साहिब की ईमारत को सोने की मीनाकारी से नवीन रुप दिया। दरबार साहिब तरनतारन की ईमारत सामने से देखने से बिल्कुल हरिमंदिर साहिब अमृतसर की तरह लगती हैं कयोंकि सोने की मीनाकारी दोनों जगह पर महाराजा रणजीत सिंह ने करवाई थी । दरबार साहिब तरनतारन सरोवर के एक कोने में बना हुआ हैं जिसके पीछे विशाल सरोवर दिखाई देता है। दर्शनी दीयूढ़ी के रास्ते से हम दरबार साहिब में प्रवेश करते हैं। दरबार साहिब तरनतारन का नकशा भी पंचम गुरु अर्जुन देव जी ने खुद बनाया हैं और हरिमंदिर साहिब अमृतसर का भी। महाराजा रणजीत सिंह के पौत्र कंवर नौनिहाल सिंह ने दरबार साहिब की परिक्रमा के एक कोने में एक विशाल मीनार का निर्माण करवाया जहां से बहुत दूर तक सुरक्षा को मद्देनजर नजर रखी जा सकती थी। दरबार साहिब के दर्शन करके मन निहाल हो जाता हैं। यहां लंगर और ठहरने की उचित सुविधा है
दरबार साहिब तरन तारण केसे पहुंचे
तरनतारण भारत राज्य पंजाब का जिला मुख्यालय हे तरन तारण आप जरिये बस रेल स्वंय की गाड़ी से भी जा सकते हे अमृतसर से तरनतारन शहर की दूरी सिर्फ 25 किमी हैं अमृतसर के साथ आप तरनतारन दरबार साहिब को भी अपनी यात्रा में जरूर शामिल करें।
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