History Gurudwara Sansahib@SH#EP=102

       

                                                           इतिहास गुरुद्वारा सनसाहिब 

                                

एतिहासिक गुरुद्वारा सन साहिब  भारत के पंजाब के अमृतसर जिले के   बासर के  गांव में स्थित है । गुरु अमरदास जी को गुरु अंगद देव जी ने अगला गुरु नामित किया था, लेकिन गुरु अंगद देव जी के पुत्र दातु जी को यकीन था कि गुरु के पुत्र के रूप में उन्हें गुरु नियुक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने गुरु अमर दास जी को गोइंदवाल साहिब छोड़ने के लिए मजबूर किया । गुरु अमर दास जी एक विनम्र व्यक्ति थे, अपने पारिवारिक गाँव बासर्के लौट आये।गुरु अमरदास जी का जन्म बासरके गाँव में ही हुआ था

यहां गुरु जी ने दरवाजे पर एक नोट लिखकर खुद को एक छोटी सी झोपड़ी में बंद कर लिया। नोट में कहा गया है, जो यह दरवाजा खोलता है वह मेरा कोई सिख नहीं है और न ही मैं उसका गुरु हूं.” जब बाबा बुढा जी के नेतृत्व में सिखों के एक प्रतिनिधिमंडल को कुटिया मिली तो वे हैरान थे कि क्या किया जाए। अंततः बाबा बुढा जी  ने गुरु के निर्देश के विरुद्ध न जाने के लिए दीवार में एक छेद करने का निर्णय लिया।संगत ने दरवाजा न खोल दीवार में छेद कर अंदर प्रवेश किया अंदर जाकर उन्होंने गुरु जी से गोइंदवाल साहिब लौटने की विनती की क्योंकि केवल वही उनके सच्चे प्रिय गुरु थे और सिख उनके बिना नहीं रह सकते थे। गुरु अमर दास अंततः मान गए और सिखों के साथ लौट आए। गुरुद्वारा साहिब के अंदर दीवार का छेद आज भी सुरक्षित है। गुरुद्वारा साहिब अमृतसर-चौबल रोड पर सुभायेमान हे

                            by-malkeet singh chahal

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