History Gurudwara Mutton Sahib@SH#EP=128

                    

                              इतिहास गुरुद्वारा मटन साहिब, अनंतनाग

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित है, सिखों का परम पावन तीर्थ गुरुद्वारा श्री मटन साहिब। शुरुआत में यह स्थान गुरु नानक देव जी के थड़े के रूप में प्रसिद्ध था। बाद में यहां गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आने लगे। इस स्थान पर गुरु नानक देवजी ने लोगों को प्रवचन दिया था। मटन साहिब गुरुद्वारे के दर्शनों के लिए आनेवाले लोग न केवल भक्तिभाव से भर जाते हैं बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी उन्हें लुभाती है। आइए, जानते हैं मटन साहिब का महत्व और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है…  
कश्मीर की हसीन वादियों में स्थित गुरुद्वारा मटन साहिब, प्राकृतिक रूप से समृद्ध होने के साथ ही ऐतिहासिक महत्व रखने वाला ऐसा स्थान हैं, जहां पर सिख धर्म के पहले गुरु साहिब श्री गुरु नानक देव जी ने एक विद्वान पंडित की आत्ममुग्धता को तोड़ा था। संसार को सही राह दिखाने के लिए गुरु साहिब के द्वारा संसार भ्रमण किया गया। अपनी तीसरी यात्रा के दौरान गुरु साहिब यहां पर प्राकृतिक छटा को अद्भुत रूप देते पानी के चश्मे के पास रुके थे। वर्ष 1517 में आए गुरु साहिब ने इस स्थान पर गुरमत और सिक्खी का प्रचार किया और गुरबाणी का उच्चारण व गायन भी किया। इस स्थान को मटन के नाम से जाना जाता है। मटन से 12 किलोमीटर दूर बिजवाड़ा कस्बे में पंडित ब्रह्म दास नाम के विद्वान पंडित रहते थे। जब उन्हें पता चला कि कोई संत/फकीर मटन आकर लोगों को धर्म का उपदेश दे रहा है तो उनसे रहा न गया।
पंडित ब्रह्म दास भी उसी स्थान पर अपने द्वारा पढ़ी गई संस्कृत की तमाम किताबों को लादकर पहुंच गए। बताया जाता है कि पंडित जी को यह लगता था कि उनसे बड़ा विद्वान कोई नहीं है। इसलिए लोगों को अपना ज्ञान दिखाने के लिए वह अक्सर अपने पढ़ें सभी ग्रंथ साथ लेकर घूमते थे। साथ ही उनसे संवाद करने की चुनौती देते थे। पंडित जी ने गुरु साहिब को भी धर्म चर्चा और संवाद करने की चुनौती दी। तब गुरु साहिब ने समझाया कि पंडित जी आप ज्यादा ज्ञान ग्रहण करने के बाद अपनी इन्द्रियों को काबू में नहीं रख पा रहे। जिस वजह से आपमें ज्ञान का अहंकार पैदा हो गया है।


गुरु साहिब ने इसी स्थान पर गुरबाणी का उच्चारण किया। जो कि गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र पेज (अंग) 467 पर सलोक महला 1 के शीर्षक पर अंकित है। गुरु साहिब कहते हैं ‘पडि पडि गडी लदी अहि’…..। जिसका अर्थ है कि अगर कोई इतनी पोथी पढ़ ले, जिससे कई गाड़ी भर जाएं, ढेर लग जाए, पढ़ने में ही महीने, साल, उम्र व सांस निकल जाए पर उसको परमात्मा की असल बात समझ न आए तो कोई फायदा नहीं। गुरु साहिब की यह बातें पंडित ब्रह्म दास का भ्रम तोड़ देती हैं। जिस स्थान पर बैठकर गुरु साहिब ने उपदेश दिया था, बाद में इसी स्थान पर थड़ा गुरु नानक देव जी के नाम से गुरुद्वारा स्थापित होता है। लेकिन अब इस स्थान पर गुरुद्वारा साहिब के साथ मंदिर भी स्थापित है। साल 1766 में काउंसिल ऑफ अफगान रीजन के सदस्य गुरमुख सिंह के प्रभाव के कारण कश्मीर के गवर्नर नूर-ओ-दीन खान बमजी ने मटन साहिब के गुरुद्वारे की इमारत का निर्माण करवाया था।

By-malkeet singh chahal

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