History Eighth Guru Harkishan Ji @SH#EP=11

         इतिहास आंठ्वे गुरु हरकिशन जी     

                   जन्म(प्रकाश)

                (07 जुलाई 1656 से 30 मार्च 1664)

                                                 

गुरू हरकिशन साहिब जी का जन्म सावन वदी १० (८वां सावन) बिक्रम सम्वत १७१३ (१७ जुलाई १६५६) को कीरतपुर साहिब में हुआ। वे गुरू हरराय साहिब जी एवं माता किशन कौर के दूसरे पुत्र थे। रामराय जी गुरू हरकिशन साहिब जी के बड़े भाई व् गुरु हर राय जी के बड़े पुत्र थे। रामराय जी को उनके गुरू घर विरोधी क्रियाकलापों एवं मुगल सलतनत के पक्ष में खड़े होने की वजह से सिख पंथ से निष्कासित कर दिया गया था।

        बाल अवस्था में गुरुपद प्राप्ति

५ वर्ष की अल्प आयु में गुरू हर किशन साहिब जी को गुरुपद प्रदान किया गया। गुरु हरराय जी ने १६६१ में गुरु हरकिशन जी को अष्ठम्‌ गुरू के रूप में स्थापित किया। इस प्रकार से नाराज होकर रामराय जी ने औरंगजेब से इस बात की शिकायत की। इस बावत शाहजांह ने रामराय का पक्ष लेते हुए राजा जय सिंह को गुरू हर किशन जी को उनके समक्ष उपस्थित करने का आदेश दिया। राजा जय सिंह ने अपना संदेशवाहक कीरतपुर भेजकर गुरूजी  को दिल्ली लाने का आदेश दिया। पहले तो गुरू साहिब ने अनिच्छा जाहिर की। परन्तु उनके गुरसिखों एवं राजा जय सिंह के बार-बार आग्रह करने पर वो दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गये।इसके बाद पंजाब के सभी सामाजिक समूहों ने आकर गुरू साहिब को विदायी दी। उन्होंने गुरू साहिब को अम्बाला के निकट पंजोखरा गांव तक छोड़ा। इस स्थान पर गुरू साहिब ने लोगों को अपने अपने घर वापिस जाने का आदेश दिया। गुरू साहिब अपने परिवारजनों व कुछ सिखों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुये। परन्तु इस स्थान को छोड़ने से पहले गुरू साहिब ने उस महान ईश्वर प्रदत्त शक्ति का परिचय दिया। लाल चन्द एक हिन्दू साहित्य का प्रखर विद्वान एव आध्यात्मिक पुरुष था जो इस बात से विचलित था कि एक बालक को गुरुपद कैसे दिया जा सकता है। उनके सामर्थ्य पर शंका करते हुए लालचंद ने गुरू साहिब को गीता के श्लोकों का अर्थ करने की चुनौती दी। गुरू साहिब जी ने चुनौती सवीकार की। लालचंद अपने साथ एक गूँगे बहरे निशक्त व अनपढ़ व्यक्ति छज्जु झीवर (पानी लाने का काम करने वाला) को लाया। गुरु जी ने छज्जु को सरोवर में सनान करवाकर बैठाया और उसके सिर पर अपनी छड़ी इंगित कर के उसके मुख से संपूर्ण गीता सार सुनाकर लाल चन्द को हतप्रभ कर दिया। इस स्थान पर आज के समय में एक भव्य गुरुद्वारा सुशोभित है जिसके बारे में लोकमान्यता है कि यहाँ स्नान करके शारीरिक व मानसिक व्याधियों से छुटकारा मिलता है। इसके पश्चात लाल चन्द ने सिख धर्म को अपनाया एवं गुरू साहिब को कुरूक्षेत्र तक छोड़ा। जब गुरू साहिब दिल्ली पहुंचे तो राजा जय सिंह एवं दिल्ली में रहने वाले सिखों ने उनका बड़े ही गर्मजोशी से स्वागत किया। गुरू साहिब को राजा जय सिंह के महल में ठहराया गया। सभी धर्म के लोगों का महल में गुरू साहिब के दर्शन के लिए तांता लग गया।

                   जीवनकाल

एक बार राजा जयसिंह ने बहुत सी औरतों को, जो कि एक समान सजी संवरी थी, गुरु साहिब के सामने उपस्थित किया और कहा कि वे असली रानी को पहचाने। गुरू साहिब एक महिला, जो कि नौकरानी की वेशभूषा में थी, की गोद में जाकर बैठ गये। यह महिला ही असली रानी थी। इसके अलावा भी सिख इतिहास में उनकी बौद्धिक क्षमता को लेकर बहुत सी साखियाँ प्रचलित है।

बहुत ही कम समय में गुरू हर किशन साहिब जी ने सामान्य जनता के साथ अपने मित्रतापूर्ण व्यवहार से राजधानी में लोगों से लोकप्रियता हासिल की। इसी दौरान दिल्ली में हैजा और छोटी माता जैसी बीमारियों का प्रकोप महामारी लेकर आया। मुगल राज जनता के प्रति असंवेदनशील थी। जात पात एवं ऊंच नीच को दरकिनार करते हुए गुरू साहिब ने सभी भारतीय जनों की सेवा का अभियान चलाया। खासकर दिल्ली में रहने वाले मुस्लिम उनकी इस मानवता की सेवा से बहुत प्रभावित हुए एवं वो उन्हें बाला पीर कहकर पुकारने लगे। जनभावना एवं परिस्थितियों को देखते हुए औरंगजेब भी उन्हें नहीं छेड़ सका। परन्तु साथ ही साथ औरंगजेब ने रामराय जी को शह भी देकर रखी, ताकि सामाजिक मतभेद उजागर हों।

                                स्वर्गलोक

अपने अन्त समय में गुरू साहिब सभी लोगों को निर्देश दिया कि कोई भी उनकी मृत्यू पर रोयेगा नहीं। बल्कि गुरूबाणी में लिखे शबदों को गायेंगे। इस प्रकार बाला पीर चैत सूदी १४ (तीसरा वैसाख) बिक्रम सम्वत १७२१ (९ अप्रैल १६६४) को धीरे से वाहेगुरू शब्द का उच्चारण करते हुए दिल्ली में ज्योतिजोत समा गये। गुरू गोविन्द साहिब जी ने अपनी श्रद्धाजंलि देते हुए अरदास में दर्ज किया कि

श्री हरकिशन धियाइये, जिस डिट्ठे सब दुख जाए।’

दिल्ली में जिस आवास में वो रहे, वहां एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब है।

By-janchetna.in

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