इतिहास गुरुद्वारा बीड़ बाबा बुड्डा साहिब
by-janchetna.in
गुरुद्वारा बीड़ बाबा बुड्डा साहिब पंजाब के अमृतसर जिले में गांव झबल कलां के पास चाबल-अमृतसर रोड पर अमृतसर से 20 किमी दक्षिण में थट्टा गांव की राजस्व सीमा में स्थित है । बाबा बुड्ढा जी ने अपना अधिकांश जीवन यहीं बिताया। गुरु अर्जन देव ने भी किसी समय इस स्थान का दौरा किया था। । यह गुरुद्वारा गुरु नानक के समय के आदरणीय सिख बाबा बुढा जी (1506 – 1631) का सम्मान और स्मरण करता है जो पांच गुरुओं का अभिषेक करने के लिए काफी लंबे समय तक जीवित रहे । उन्होंने बीड की देखभाल में कई साल बिताए, जिसका शाब्दिक अर्थ मवेशियों को चराने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक आरक्षित जंगल जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे पट्टी के चौधरी लंगाह ने अपनी निजी भूमि से गुरु अर्जन देव जी को अर्पित किया था।माता गंगा को पुत्र प्राप्ति का वरदान इसी जगह से मिला था आज भी कोई सच्चे मन से अरदास करता हे तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती हे जब माता गंगा ने गुरु पद का उत्तराधिकारी पाने के लिए एक पुत्र प्राप्ति की इच्छा जताई तो गुरु अर्जनदेव जी की जीवन साथी माता गंगा आशीर्वाद लेने के लिए घोड़ो पर सवार होकर शाही रिवाज से बाबा बुढा जी के पास गई तो उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान नही मिला तो जबकि बाबा बुढा जी के मुख से निकल गया गुरु क्या नु केवे फाज्डा पे गईया उन्होंने यह बात गुरु अर्जुनदेव जी को बताई गुरु अर्जुन देव जी बोले जब किसी संत फकीर से आश्रीवाद लेने जाते हे तो शाही ठाट से नही जबकि नीचे झुककर जाते हे तो माता गंगा ने बाबा बुढा जी के लिए स्वंय भोजन तेयार कर थाली में रखकर स्वंय दोनों हाथों से पकडकर बाबा बुढा जी के पास गई और भोजन ग्रहण करने हेतु आग्रह किया माता गंगा को इस प्रकार भोजन करवाने से बाबा बुढा जी बड़े प्रभावित हुये माता गंगा भोजन के साथ प्याज भी लेकर गई थी जब बाबा बुढा जी ने खाने हेतु हाथ से प्याज को तोड़ा तो बाबा बुढा जी के मुख से निकला माता गंगा आपकी कुख से पुत्र होगा जो अत्याचारियों के इस प्याज की तरह सिर तोड़ेगा इसी आशीर्वाद के बाद माता गंगा जी से गुरु हरगोबिंद जी का जन्म हुआ।

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