इतिहास शहीद बाबा बंदासिंह बहा दर@SH#EP=33

                       

                                by-janchetna.in

                     13 1670  से 16 जून 1716

                                   जन्म

बाबा बन्दा सिंह बैरागी का जन्म कश्मीर स्थित पुंछ जिले के तहसील राजौरी क्षेत्र में विक्रम संवत् 1727, कार्तिक शुक्ल 13 (1670 ई.) को हुआ था। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मणदेव बेरागी था वह 15 वर्ष की उम्र के थे तब उनके हाथों से एक गर्भवती हिरणी के शिकार ने उने अत्यंत शोक में डाल दिया। इस घटना का उनके मन में गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपना घर का त्याग कर दिया| वह जानकी दास नाम के एक साधु के शिष्य हो गए तदन्तर उन्होंने एक अन्य बाबा रामदास का शिष्यत्व ग्रहण किया और कुछ समय तक पंचवटी (नासिक) में रहे। वहाँ एक औघड़नाथ से योग की शिक्षा प्राप्त कर वह पूर्व की ओर दक्षिण के नान्देड क्षेत्र को चले गए जहाँ गोदावरी के तट पर उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की।

                                  जीवनकाल

बन्दा सिंह बहादुर सिख सेनानायक थे उन्होंने 15 साल की उम्र में तपस्वी बनने के लिए घर छोड़ दिया, और उन्हें माधो दास बैरागी नाम दिया गया। उन्होंने गोदावरी नदी के तट पर नांदेड़ में एक मठ की स्थापना की। 1707 में, गुरु गोबिंद सिंह ने दक्षिणी भारत में बहादुर शाह प्रथम बार मिलने का निमंत्रण स्वीकार किया। उन्होंने 1708 में बंदा सिंह बहादुर से मुलाकात की उनका मूल नाम बंदा सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह के प्रभाव में मुगलों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा और साहबज़ादों की शहादत का बदला लिया। उन्होंने गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा संकल्पित प्रभुसत्ता ‘खालसा राज‘ की राजधानी लोहगढ़ में सिख राज्य की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने गुरु नानक देव और गुरु गोबिन्द सिंह के नाम से सिक्का और मोहरें जारी की

            गुरु गोबिन्द सिंह से प्रेरणा

3 सितम्बर 1708 ई. को नान्देड में सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोबिन्द सिंह ने इस आश्रम में पहुंचकर माधोदास को उपदेश दिया और तभी से इनका नाम माधोदास से बंदा सिंह हो गया। पंजाब और शेष अन्य राज्यों के वासियों के प्रति दारुण यातना झेल रहे तथा गुरु गोबिन्द सिंह के पांच और नौ वर्ष के उन महान बच्चों की सरहिंद के नवाब वज़ीर ख़ान के द्वारा निर्मम हत्या करवा दी थी। गुरु गोबिन्द सिंह जी के बताए उपदेश और मुगलों द्वारा यातना झेल रहे लोगों को अन्याय से छुटकारा दिलाने के लिए गुरु गोबिन्द सिंह के आदेश से ही वे पंजाब आये और सिक्खों के सहयोग से मुग़ल अधिकारियों को पराजित करने में सफल हुए। मई, 1710 में उन्होंने सरहिंद को जीत कर खालसा राज का प्रथम निशान साहिब लगाया और सतलुज नदी के दक्षिण में सिक्ख राज्य की स्थापना की। उन्होंने ख़ालसा के नाम से शासन भी किया और गुरुओं के नाम के सिक्के चलवाये।

                                    स्वर्गलोक

शौर्य का परिचय देते हुए बन्दा सिंह  बहादुर ने अपने राज्य के एक बड़े भाग पर फिर से अधिकार कर लिया और इसे उत्तर-पूर्व तथा पहाड़ी क्षेत्रों की ओर लाहौर और अमृतसर की सीमा तक विस्तृत किया। 1715 ई. के प्रारम्भ में बादशाह फ़र्रुख़सियर की शाही फ़ौज ने अब्दुल समद ख़ाँ के नेतृत्व में उन्हें गुरुदासपुर ज़िले के धारीवाल क्षेत्र के निकट गुरुदास नंगल गाँव में कई माह तक घेरे रखा। खाद्य सामग्री के अभाव के कारण उन्होंने 7 दिसम्बर को आत्मसमर्पण कर दिया। फ़रवरी 1716 को 794 सिक्खों के साथ वह दिल्ली लाये गए जहाँ 5 मार्च से 12 मार्च तक सात दिनों में 100 की संख्या में सिक्खों की बलि दी जाती रही । 16 जून को बादशाह फ़ार्रुख़शियार के आदेश से बन्दा सिंह बहादर  तथा उनके मुख्य सैन्य-अधिकारियों के शरीर काटकर टुकड़े-टुकड़े कर दिये गये।

अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य –

  • ये सिक्खों के प्रथम राजनितिक नेता थे।
  • प्रथम सिक्ख राज्य की स्थापना इन्हों ने की।
  • इन्हों ने सिक्ख राज्य का मुहर बनवाया और गुरु नानक देव तथा गुरु गोविंद सिंह के नाम के सिक्के चलवाए।
  • इनकी मृत्यु के बाद सिक्ख राज्य 12 अलग अलग समूह में बंट गया, जिसे “मिसल” कहा जाता था।
  • इनमे सबसे मजबूत मिसल भंगी मिसल था।
  • 1748 ईस्वी मे कपूर सिंह के नेतृत्व में सारे मिसल एक हो गए। जिन्हें दल खालसा कहा गया।

By-janchetna.in

Share:

More Posts

History baba bidhichanad@SH#EP=142

                                                                 इतिहास बाबा बिधि चंद बाबा बिधि चंद   एक सिख धार्मिक उपदेशक और सैन्य कमांडर थे, जो अमृतसर से

History mata kola@SH#EP=141

                                               इतिहास माता कोला माता कौलन गुरु हरगोबिंद साहिब के समय की एक आध्यात्मिक महिला थीं । कौलन का अर्थ है वह जो

History gurudwara nankana Sahib@SH#EP=140

                 इतिहास गुरुद्वारा ननकाना साहिब पाकिस्तान ननकाना साहिब, पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित एक शहर है। इसका वर्तमान नाम सिखों के पहले गुरू गुरू

history kartarpur pakistan@SH#EP=139

                                               इतिहास  करतारपुर पाकिस्तान सिख धर्म के पहले  गुरु नानक देव जी ने 1504 ई. में रावी नदी के दाहिने