इतिहास तख्त श्री दमदमा साहिब@SH#EP=98
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इस पवित्र जगह को नौवें गुरु तेग बहादुर जी और दसवें पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी की चरण छोह प्राप्त हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज आनंदपुर साहिब से चल कर चमकौर साहिब के युद्ध के बाद माछीवाड़ा, रायकोट, मुक्तसर के युद्ध के बाद जनवरी 1705 ईसवीं में यहां आए थे और इसी जगह पर उन्होंने अपना कमरकसा खोल कर दम लिया था , तभी यह जगह दमदमा साहिब के नाम से मशहूर हो गई। गुरु जी यहां नौ महीने से भी जयादा समय तक रहे। इसी पावन धरती को गुरु काशी का वर दिया जहां आज सिख धर्म की शिक्षा के संस्थान और यूनिवर्सिटी बनी हुई है। इस पावन धरती पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने भाई मनी सिंह जी से श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के पावन सरूप को संपूर्ण करवाया। यहां पर ही शहीदां मिसल के सरदार शहीद बाबा दीप सिंह जी की देख रेख में गुरूबाणी पढ़ने लिखने सीखने के लिए एक टकसाल शुरू की गई । बाबा दीप सिंह जी की याद में यहां सुंदर बुरज बना हुआ है। यहां पर संगत के दर्शन के लिए बहुत एतिहासिक वस्तुओं को रखा गया है जो गुरूओं से संबंधित हैं
1. श्री साहिब पातशाही नौंवी
2. निशाना लगाने वाली बंदूक
3. तेगा बाबा दीप सिंह
तख्त श्री दमदमा साहिब की ईमारत बहुत आलीशान हैं। यहां पर रहने के लिए बहुत सारी सरांय बनी हुई है। लंगर की उचित सुविधा हैं। तखत श्री दमदमा साहिब बठिंडा शहर से 30 किमी दूर हैं।
- गुरुद्वारा मंजी साहिब श्री गुरु तेग बहादुर
- गुरुद्वारा मंजी साहिब पादशाही नौवीं और दसवीं
- गुरुद्वारा लिखनसर साहिब
- गुरुद्वारा जंडसर साहिब
- गुरुद्वारा महल्लसर साहिब
- गुरुद्वारा श्री नानकसर साहिब
- गुरुद्वारा दमदमा साहिब पादशाही दसवीं
- गुरुद्वारा माता सुंदर कौर और साहिब कौर जी
- गुरुद्वारा बाबा बीर सिंह बाबा धीर सिंह जी
- गुरुद्वारा बुंगा मस्तुआना साहिब
- भोरा शहीद बाबा दीप सिंह जी
- बुर्ज बाबा दीप सिंह जी
- गुरुद्वारा दाग सार साहिब
तख्त श्री दमदमा साहिब पंजाब में बठिंडा के नजदीक साबो की तलबंडी में हे दमदमा साहिब हेतु रेल व् बस सेवा आसानी से उपलब्ध हे
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