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                                                इतिहास तख्तश्री नादेड साहिब

                             by-janchetna.in

हजूर साहिबसिखों के 5 तखतों में से एक है। यह नान्देड साहेब नगर में गोदावरी नदी के किनारे महारास्त्र में स्थित है। इसमें स्थित गुरुद्वारा ‘सच खण्ड’ कहलाता है। गुरुद्वारा साहिब  का निर्माण 1832 और 1837 के बीच सिकंदर जाह, मीर अकबर अली खान सिकंदर जाह, आसिफ़ जाह तृतीय ने अपने मित्र महाराजा रणजीत सिंह के अनुरोध पर किया था

गोदावरी नदी के किनारे बसा शहर नांदेड़ हजूर साहिब सचखंड गुरूद्वारे के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और मत्था टेककर स्वयं को धन्य समझते हैं।

यहीं पर सन् 1708 में सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने प्रिय घोड़े व् बाज के साथ सचखंड चले गये थे  सन् 1708 से पहले गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म प्रचार के लिए कुछ वर्षों के लिए यहाँ अपने कुछ अनुयायियों के साथ अपना पड़ाव डाला था।

अपनी मृत्यु को समीप देखकर गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में किसी अन्य को गुरु चुनने के बजाय सभी सिखों को आदेश दिया कि मेरे बाद आप सभी पवित्र गुरु ग्रन्थसाहिब  को ही गुरु मानें और तभी से पवित्र गुरु ग्रन्थसाहिब  को गुरु साहिब कहा जाने लगा जाता है।

गुरु गोविंद सिंह जी के ही शब्दों में:

आज्ञा भई अकाल की तभी चलायो पंथ,

सब सीखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रन्थ।।

परिसर में स्थित गुरूद्वारे को सचखंड (सत्य का क्षेत्र) नाम से जाना जाता है, यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी जहां ज्योति जोत समाये थे उसी स्थान पर ही बनाया गया है।

गुरुद्वारे का आतंरिक कक्ष अंगीठा साहिब कहलाता है, यह ठीक उसी स्थान पर बनाया गया है जहां गुरु गोविंद सिंह जी का दाह संस्कार किया गया था।

तख़्त के गर्भ गृह में गुरुद्वारा पटना साहिब की तर्ज़ पर श्री गुरु ग्रन्थ साहिब तथा श्री दश्म ग्रन्थ दोनों स्थापित हैं। गुरुद्वारे का निर्माण पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह जी के द्वारा करवाया गया था।

गुरु गोविंद सिंह जी की यह अभिलाषा थी कि उनके निर्वाण के बाद भी उनके सहयोगियों में से एक श्री संतोख सिंह जी (जो कि उस समय उनके सामुदायिक रसोईघर की देख-रेख करते थे), नांदेड़ में ही रहें तथा गुरु का लंगर (भोजन) को निरंतर चलाये तथा बंद न होने दें।

गुरु की इच्छा के अनुसार भाई संतोख सिंह जी के अलावा अन्य अनुयायी चाहें तो वापस पंजाब जा सकते हैं लेकिन अपने गुरु के प्रेम से आसक्त उन अनुयायियों ने भी वापस नांदेड़ आकर यहीं रहने का निर्णय लिया। गुरु की इच्छा के अनुसार यहां सालभर लंगर चलता है।

 आधा किलोमीटर नीचे की ओर गुरु का लंगर स्थल है, जिसकी देखरेख माता साहिब देवन करते थे, जबकि गुरु गुरुद्वारा हीरा घाट पर रुके थे। तख्त साहिब के प्रबंधन बोर्ड द्वारा व्यवस्थित, अकेले या बस से यात्रा करने वाले समूहों में विभिन्न तीर्थस्थलों की परिक्रमा करने वाले तीर्थयात्रियों को मध्याह्न भोजन परोसकर परंपरा को अभी भी जीवित रखा गया है।

लगभग 250 एकड़ भूमि, आंशिक रूप से कृषि योग्य, इस गुरुद्वारे से जुड़ी हुई है। गुरुद्वारा और भूमि का प्रबंधन प्रबंधन बोर्ड के तत्वावधान में निहंग सिंहों द्वारा किया जाता है। यहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की पत्नी माता साहिब कौर जी ने पिछले जन्म में लंबे समय तक ध्यान किया था और जब गुरु गोबिंद सिंह जी नांदेड़ आए थे। वह फिर से पवित्र स्थल पर ध्यान करती थी।

गुरु जी दिन भर की यात्रा और शिकार के बाद इस स्थान पर आते थे और दोपहर का भोजन करते थे। उस समय से इस गुरुद्वारे में लंगर या मुफ्त रसोई परोसी जाती है, माता साहिब कौर जी बाद में दिल्ली के लिए रवाना हो गईं और दैनिक पूजा के लिए गुरु साहिब के कुछ हथियार ले गईं और वहां अपने स्वर्गीय निवास के लिए प्रस्थान कर गईं।

हजूर साहिब नादेड देश से ही नही विदेश से भी संगत दर्शन करने हेतु आती हे

                     सड़क मार्ग

नांदेड़ सड़क मार्ग से मुंबई से 650 किमी पूर्व में है। यह औरंगाबाद से लगभग 4-5 घंटे की ड्राइव और पुणे से 11 घंटे की दूरी पर है। नांदेड़ यह हैदराबाद से लगभग 250 किमी दूर है। नांदेड़ से कई यात्री बस सेवाएं संचालित होती हैं जो महाराष्ट्र के सभी प्रमुख शहरों के साथ रात भर आसान कनेक्टिविटी प्रदान करती हैं। ये बसें उचित मूल्य वाली और समय की पाबंद हैं। प्रत्येक ऑपरेटर के लिए आराम का स्तर बहुत भिन्न होता है। महाराष्ट्र और हैदराबाद से सभी प्रमुख शहरों से राज्य परिवहन निगम की अधिक बसें भी उपलब्ध हैं।

                    हवाई मार्ग

हवाई मार्ग से नांदेड़ पहुंचने के लिए, हमारे पास हर शनिवार, रविवार को मुंबई से नांदेड़ तक एयरलाइंस सेवा है, हैदराबाद से नांदेड़ तक भी, www.starair.in पर जाएं । नांदेड़ से निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हैदराबाद लगभग 250 किमी दूर है और औरंगाबाद हवाई अड्डा नांदेड़ से 275 किमी दूर है। औरंगाबाद से नांदेड़ और हैदराबाद से नांदेड़ तक रात्रिकालीन बस सेवा (डीलक्स कोच) उपलब्ध हैं।

                       रेल मार्ग
सचखंड एक्सप्रेस एक विशेष सुपर फास्ट ट्रेन है जो अमृतसर से नांदेड़ के लिए चलाई जाती है, यह रेल बठिंडा दिल्ली होती हुई हजूर साहिब जाती हे कई अन्य ट्रेनें भी नांदेड़ के लिए रेलवे नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं।श्री गंगानगर से सप्ताहिक रेल हजूर साहिब के लिए जाती हे  वर्तमान में नांदेड़ रेलवे लाइन मनमाड के रास्ते मुंबई और सिकंदराबाद के रास्ते हैदराबाद से जुड़ी हुई है। तख्त साहिब की सुगम तीर्थयात्रा को सुविधाजनक बनाने के अपने निरंतर प्रयास के तहत, प्रबंधन बोर्ड ने एक कम्प्यूटरीकृत रेलवे आरक्षण काउंटर की स्थापना की सुविधा प्रदान की है।
गुरुद्वारा प्रबंधन बोर्ड ने ऑनलाइन आरक्षण सुविधा के लिए गुरुद्वारा परिसर में रेलवे आरक्षण काउंटर के आवास के लिए रेलवे अधिकारियों को आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान किया है। जल्द ही गुरुद्वारा परिसर में ही रेलवे आरक्षण होगा।

हजूर साहिब नांदेड़, भारत के महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ शहर में स्थित एक रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन 2003 में बना और नांदेड़ रेलवे मंडल के अंतर्गत आता है,[4] पहले यह यह स्टेशन हैदराबाद मंडल का एक हिस्सा हुआ करता था। यह दक्षिण मध्य रेलवे (दमरे) के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है, इसमें लिफ्ट और एस्केलेटर जैसी कई सुविधाएं हैं और विशेष रूप से सफाई बहुत अच्छी है। स्टेशन सिकंदराबाद-मनमाड रेलमार्ग पर स्थित है और 10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के विश्राम स्थल तख्त सचखंड श्री हजूर अचलनगर साहिब होने कारण यहां अधिक यात्री यातायात रहता है।

नांदेड़ भारत के सभी प्रमुख शहरों जैसे मुंबईनई दिल्लीरामेश्वरमपटनाहैदराबादविशाखापत्तनमचेन्नईजयपुरबैंगलोरइंदौरनागपुरपुणेतिरुपतिकोलकाताऔरंगाबादअहमदाबादअमृतसरचंडीगढ़ऊना और संबलपुर से जुड़ा हुआ है। स्टेशन परभणी जंक्शन, औरंगाबाद और निजामाबाद के साथ बहुत अच्छी तरह से जुडा है। नांदेड़ रेलवे स्टेशन से होकर प्रतिदिन 48 जोड़ी ट्रेनों और 52 गैर दैनिक ट्रेनें गुजरती है।

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