“जनचेतना भारत भ्रमण DAY=03”
उदेश्य-भारत को देखना दिखाना समझना समझाना इतिहास से रूबरू करवाना
दिनाक 01 दिसम्बर 2023 सुबह 7 बजे श्री गंगानगर से रवाना होकर जनचेतना टीम 133 किलोमीटर का सफर तय कर शाम 4 बजे पंजाब के जलालाबाद पहुंच गई जहा गुरुद्वारा सिंह सभा में दीवान होने के करण रूम नही मिल पाया तो पास में ही धर्मशाला में मात्र दो सो रूपये में बढिया मिल मिल गया रास्ते में कुछ खास नही मिला
“जनचेतना भारत भ्रमण DAY=04”
दिनाक 02-12-2023 सुबह 7 बजे आगे के भ्रमण हेतु रवानगी ली गई जिला फिरोजपुर में जलालाबाद से फाजिल्का मुख्य रोड पर दोपहर को गुरुद्वारा नजर आया तब तक भूख ने भी अपना रंग दिखना शुरू कर दिया गुरुद्वारा साहिब में जाकर गेट पर बेठे बुजुर्ग सेवादार को फटे बुलाई अपना परिचय दिया भोजन हेतु निवेदन किया सेवादार ने लंगर हाल की तरफ इशारा किया फिर क्या था जा बेठे गुरु के लंगर हाल जहां पर लंगर के साथ साथ दही जेसी लसी भी लंगर में चल रही थी जथेदार खुद संगत की सेवा कर रहे थे व् सेवादारों को निर्देश दे रहे थे दाल में गर्म सब्जी मिलाओ ताकि दाल गर्म हो जाए सर्दी का मोसम हे संगत को ठंडी दाल नही खिलानी हे लसी में पानी मत मिलाओ लसी का भंडारा भरपूर हे संगत को दही जेसी लसी पिलाओ ताकि यहा से लंगर खाने वाली संगत वाहेगुरु वाहेगुरु जपती जाये फिर क्या था भरपेट भोजन किया जथेदार जी को परिचय दिया मिलकर जथेदार जी बड़े खुश हुये जथेदार जी ने गुरुद्वारा साहिब के इतिहास से रूबरू करवाया व्यवस्थाओ के बारे में बताया जथेदार जी ने बताया की यहा चोबीस घंटे गुरु का लंगर चलता हे संगत राहगीर ट्रक ड्राइवरो व् अन्य वाहन चालकों हेतु नहाने धोने खाने रहने की निशुल्क भरपूर व्यवस्था हे मुख्य मार्ग पर गुरुद्वारा साहिब होने के कारण पन्द्रह बीस ट्रक हमेशा खड़े रहते हे जथेदार जी ने बताया की पास में बह रही नदी से गुरु ग्रन्थ साहिब स्वंय प्रकट हुए थे जिसके सभी अंग सूखे थे इसलिए गुरुद्वारा साहिब का नाम गुरुद्वारा प्रकट साहिब रखा गया हे उपरांत जनचेतना टीम आगे के भ्रमण हेतु रवाना हो गई बीच रास्ते में गाँव कोट बुढा में गुरुद्वारा साहिब आया जहा पर चाय भोजन का लंगर चल रहा था चाय भोजन का लंगर लेने के बाद गुरुद्वारा साहिब के जथेदार जी से इतिहास के बारे में बातचीत की गई
उपरांत 129 किलोमीटर का सफर तय कर शाम चार बजे पंजाब के पट्टी पहुंच गई रात्रि विश्राम गुरुद्वारा बीदी चंद साहिब पट्टी में किया वहा पर गुरुद्वारा चोबारा साहिब के मुखिया मिल गये जिन्होंने गुरुद्वारा चोबारा साहिब का इतिहास बताया व् प्राचीन तस्वीरे दिखाई