इतिहास भाई कन्हेया जी@SH#EP=67

                         

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भाई कन्हैया जी का जन्म 1648 में सियालकोट क्षेत्र (अब पाकिस्तान में) में वजीराबाद के पास सोधरा के धम्मन खत्री समुदाय में हुआ था। उनके पिता एक सम्पन्न व्यक्ति थे। वह बहुत कम उम्र से ही गरीबों को दान देने की आदत के लिए जाने जाते थे।

अपनी युवावस्था में  भाई कन्हैया जी की मुलाकात ननुना बैरागी से हुई जो 9वें गुरु तेग बहादुर के  शिष्य थे।  ननुआ बैरागी की निकटता के फलस्वरूप कन्हैया जी को गुरुजी से मिलने की अनुमति मिली जिसके बाद वे सिख बन गये। कन्हैया जी वहीं रहकर संगत की सेवा करते रहे। कन्हैयाजी गुरु जी हेतु पानी की सेवा किया करते थे बाद में वे लंगर में नियुक्त किए गये। उन्होंने गुरु साहिब के घोड़ों की भी देखभाल की। 9वें गुरु जी की मृत्यु के बाद  10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंहगद्दी पर बैठे और कन्हैया जी ने उनका अनुसरण करना शुरू कर दिया। मई 1704 में कन्हैया जी आनंदपुर का दौरा कर रहे थे। उसी समय शहर पर राजपूत सैनिकों और उनके मुगल सहयोगियों ने मिलकर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में भाई कन्हैया जी अक्सर  पानी की थैली से सभी प्यासों को पानी पिलाते हुए दिखते थे।चाहे वे दुश्मन ही क्यों नही हो  उन्होंने इस सेवा को श्रद्धापूर्वक निभाया।  इससे युद्ध के मैदान में सिख योद्धा नाराज हो गये  और गुरु जी से उनकी शिकायत की। तब गुरुजी  ने कन्हैयाजी  से पूछा, ‘हमारे सिख कह रहे हैं कि तुम जाकर दुश्मन को पानी पिलाते हो  कन्हैया जी ने कहा, ‘हां गुरु जी, वे सच कह रहे हैं मुझे तो कोई सिख या मुगल दिखाई नही देता मुझे तो सभी में आप ही दिखाई देते हो

इस उत्तर से गुरु जी बड़े खुश हुये  उन्होंने भाई कन्हैया जी को चिकित्सा सहायता प्रदान की और कहा की पानी के साथ साथ उनके मरहमपट्टी भी करो बाद में उनके मिशन को सेवा पंथी संप्रदाय के रूप में जाना जाने लगा। 

गुरुजी ने उन्हें सिंध भेजा ताकि वे वहाँ के लोगों के बीच सिख धर्म का प्रचार करें सिंध में उन्हें स्थानीय तौर पर खाट वारो बाओ या खाटवाला बाबा के नाम से जाना जाता है क्योंकि वह बिस्तर पर बैठकर उपदेश देते थे।  शिकारपुर में खतवारी दरबार है जो भाई कन्हैया की स्मृति में बना एक सिंधी मंदिर है। उनके निधन के बाद भाई सेवाराम सेवापंथी संप्रदाय के प्रमुख के बने। उनके उत्तराधिकारी सिंध में सिख धर्म का प्रचार करते रहे। 

1998 के भारत के टिकट पर भाई कन्हैया जी

SGPC प्रधान प्रोफेसर किरपाल सिंह बडूंगर के नेतृत्व में एसजीपीसी ने पहली बार 20 सितंबर, 2017 को भाई कन्हैया जी की जयंती मनाई। इस संदर्भ में, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने भी 20 सितंबर 2017 को उनके जन्मदिन को मानव सेवा दिवस के रूप में मनाया।

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