इतिहास गोईदवाल साहिब पंजाब
BY-JANCHETNA.IN
पंजाब के जिला तरनतारन के गोईदवाल साहिब को दस में से सात गुरुओं की चरणछोह प्राप्त है। गोईदवाल साहिब सिख धर्म का पहला तीर्थ हैं जिसे तीसरे गुरु अमरदास जी महाराज ने दूसरे गुरू अंगद देव जी के आदेश पर बसाया था। गुरु अमरदास जी को 73 साल की उमर में गुरगद्दी मिली थी और 95 साल की उमर में वह गोईदवाल साहिब में ही जयोति जोत समा गए।
सिख धर्म में गोईदवाल साहिब के दर्शन का विशेष महत्व हैं इसी शहर में पांचवें गुरू अर्जुन देव जी महाराज का जन्म हुआ। चौथे गुरु रामदास जी तीसरे गुरू जी के दामाद थे जिन्होंने अमृतसर शहर की सथापना की, पांचवें गुरू अर्जुन देव जी चौथे गुरू जी के पुत्र थे बहुत सारे गुरूद्वारे हैं गोईदवाल साहिब में दर्शन के लिए।
गुरूद्वारा बाऊली साहिब
गोइंदवाल बावली पहला सिख तीर्थस्थल है जिसे 16वीं शताब्दी में श्री गुरु अमर दास जी की देखरेख में स्थापित किया गया था। तीसरे सिख गुरु, गुरु अमर दास, 33 वर्षों तक गोइंदवाल में रहे। यहां उन्होंने 84 सीढ़ियों वाली एक बावली या कुएं का निर्माण कराया। बावली के प्रवेश द्वार को कलात्मक ढंग से सजाया गया है। श्रदालु इस बाऊली में सनान करते हैं बाऊली साहिब का जल बहुत पवित्र और ठंडा है। यह शहर बयास नदी के किनारे पर बसा हुआ है। तरनतारन से गोईदवाल साहिब की दूरी 23 किमी हैं और अमृतसर की दूरी 50 किमी हैं। गुरूद्वारा साहिब की ईमारत बहुत भव्य और शानदार हैं |
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