01 जनवरी 1761 – 14 मार्च 1823
by-janchetna.in
अकाली फूला सिंह का जन्म जनवरी 1761 में सरदार ईशर सिंह के घर हुआ था उनकी माता का नाम बीबी हरी कोर भाई का नाम संत सिंघ था उनके पिता एक किसान थे, उनके पिता की मृत्यु के बाद अकाली फूला सिंह जो अभी भी युवा थे और उनके बड़े भाई बाबा संत सिंह की देखभाल महंत बलराम ने की और बाद मैं उनकी माँ की सलाह के तहत उन्हें अकाली बाबा नैना सिंह के पास आनंदपुर साहिब भेज दिया गया। बाबा नैना सिंह से ही उन्होंनें अमृतपान ग्रहण किया
उन्होंने कम उम्र मैं ही काफी गुरबाणी को याद कर लिया, उन्होंने आस-पास के सिखों को गुरबाणी के अर्थ समझाने शुरु किए, उन्होंने बाबा नैणा सिंह जी की शहीदां मिसल के लिए बहुत सी लड़ाईयां लड़ी।
वे एक अकाली निहंग सिख नेता थे। वह 19वीं शताब्दी की शुरुआत में खालसा शहीदां मिसल के एक सैनिक और बुद्ध दल के प्रमुख थे। वह सिख खालसा सेना में एक वरिष्ठ सेनापति और सेना के अनियमित निहंग के कमांडर भी थे। उन्होंने अमृतसर में सिख मिसलों को एकजुट करने में भूमिका निभाई। वह अंग्रेजों से नहीं डरते थे अंग्रेजों ने कई बार उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया लेकिन वह कभी सफल नहीं हुए। अपने बाद के वर्षों के दौरान उन्होंने महाराजा रणजीत सिंह के प्रत्यक्ष सलाहकार के रूप में सिख साम्राज्य के लिए सेवा की। वह नौशेरा की लड़ाई में अपनी शहादत तक कई प्रसिद्ध लड़ाइयों में एक सेनापति बने रहे। उनकी एक बात और खास थी कि वह किसी भी चीज को पंथ के ऊपर नहीं रहने देते थे, उनका इतना खौफ था कि अंग्रेज उनसे थर-थर कांपते थे। वे सर्वविदित थे और एक विनम्र अद्वितीय नेता और उच्च चरित्र वाले प्रतिष्ठित योद्धा थे। वह गुरमत और खालसा पंथ के मूल्यों को बनाए रखने के अपने प्रयास के लिए भी जाने जाते थे।
अकाली नैणा सिंह जी के पास रहते अकाली फूल सिंह को पता लगा की, गुरुनगरी मैं गुरु मर्यादा पूरी तरह से नहीं चल रही, ना वहां का प्रबंध अच्छे तरीके से हो रहा है, तो वह श्री आनन्दपुर साहिब से अमृतसर चले गए। वहां उन्होंने फिर से गुरुमर्यादा को चलाया। उन्होंने वहा काफी बदलाव किए
स्वर्गलोक
अकाली फुला सिंह निहंग 14 मार्च 1823 को 62 साल की उम्र में ख़ैबर पख़्तूनख़्वा, पाकिस्तान में शहीद हो गये
by-janchetna.in