जनचेतना भारत भ्रमण ब्रह्मकुमारी माउन्ट आबू

                            

                            

                               by-janchetna.in

जनचेतना भारत भ्रमण के दोरान ब्रह्मकुमारी माउन्ट आबू का 13 फरवरी से 19 फरवरी तक भ्रमण किया गया बहुत से साथी वंहा की खासियत/विशेषता के बारे में पूछते हे वेसे तो बहुत सी खासियत देखने को मिली मुख्य रूप से बात करे तो शांत सुंदर व् स्वस्थ इलाका हे रंग बिरंगे फुल फलदार पोधे और भी चार चाँद लगा रहे हे

1-आश्रम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन किया जाता हे जिसके कई फायेदे हे इससे आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर नजर बनी रहती हे श्रधालुओ की संख्या ज्ञात हो जाती हे उससे खाने पीने रुकने की व्यवस्था उचित तरीके से हो जाती हे कोई दुर्घटना होने पर घायल व्यक्ति की तुरंत पहचान हो जाएगी वही अगर कोई व्यक्ति चोरी इत्यादी करता हे तो तुरंत पकड़ में आ जायेगा चोर चोरी के लिए सुनसान जगह देखता हे ताकि वह पकड़ में नही आए रजिस्ट्रेशन से चोर के मन में भय भी रहता हे जिसके चलते वह चोरी करता ही नही हे आश्रमं जाने हेतु रजिस्ट्रेशन स्थानीय bk बहिन जी की जुम्मेदारी से होता हे स्थानीय bk बहिन ही लेकर जाती हे सीधे एंट्री नही हे  

2-आश्रम की सुविधाए आबू रोड स्टेशन से शुरू हो जाती हे स्टेशन से आश्रम की बस आपको निशुल्क लेकर जाएगी जो मुख्य गेट पर यातायात कार्यलय पर छोड़ेगी वहा से आपको रजिस्ट्रेशन कार्ड मिलेगा जिस पर रूम नंबर लिखा होगा वही से आपको दूसरी बस मिलेगी जो रूम तक छोडकर आयेगी

3-आराम करने हेतु बढिया साफ सुधरा रूम अटेच लेट बाथरुम मिलेगा नहाने हेतु पर्याप्त मात्र में गर्म पानी मिलेगा पीने हेतु मिनरल पानी मिलेगा फस्ट सेकिंड थर्ड फ्लोर पर जाने हेतु पर्याप्त मात्रा में लिफ्ट लगी हुई हे  

4-चाय में आपको निशुल्क मीठी चाय फीकी चाय मीठी कोफ़ी फीकी कोफ़ी मीठा दूध फीका दूध पर्याप्त मात्र व् आसानी से मिलेगा

5-नाश्ते में आपको मीठे चावल फीके चावल चपाती  मीठी चपाती अन्य पकवान मिलेंगे

6-भोजन में आपको दो प्रकार की सब्जी दाल कड़ी चावल इत्यादी मन पसंद भोजन मिलेगा शाम को भोजन के बाद प्रयाप्त मात्र में मीठा व् फीका गर्म दूध मिलेगा

7-सत्संग स्थल व् भोजन स्थल आमने सामने हे वही रूम मात्र एक किलोमीटर दूर हे उसमे आने जाने हेतु दिन भर आश्रम की निशुल्क बसे चलती हे

8-आश्रम द्वारा सोर उर्जा प्लांट लगाया गया हे उससे आश्रम में चोबीस घंटे विधुत सप्लाई होती हे

9-आश्रम द्वारा तपोवन गाँव में खेती की जाती हे जिसमे ऑर्गेनिक सब्जिया उगाई जाती हे जो आश्रम में भेजी जाती हे

10-आश्रम की आदर्श गोशाला भी हे जिसमे रहने वाली गाय को संगीत सुनाया जाता हे

11-आश्रमं द्वारा बड़ा होस्पिटल बनाया गया हे जिसमे आश्रम में आने वाले व् अन्य लोगो का निशुल्क इलाज किया जाता हे

12-दिनचर्या की बात करे तो सुबह तीन बजे चाय शुरू हो जाती हे व् योग शुरू हो जाता हे सात से आठ तक बजे मुरली नाम से क्लास होती हे आठ से नो बजे तक नाश्ता होता हे नो से बारह बजे तक क्लास होती हे बारह बजे लंच होता हे फिर रेस्ट  शाम चार बजे चाय चलती हे पांच से सात  बजे तक क्लास चलती हे उपरांत डिनर व् रेस्ट होता हे 

13-वापसी में आपको दो वक्त का पेकिंग यात्रा भोजन मिलेगा व् आश्रम की गाड़ी स्टेशन तक छोडकर जाएगी आश्रम द्वारा स्टेशन पर भी मिनरल वाटर साफ टोयेलेट बाथरुम गार्ड बेग ट्रोली की व्यवस्था की गई हे ताकि आश्रम में आने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी नही हो मोजुदा समय में आश्रम में पचीस हजार बाबा के भक्तों हेतु सत्संग होल में बेठने भोजन करने व् रुकने हेतु व्यवस्था हे

14-जनचेतना आपसे अपील करता हे की अपने बीजी जीवन से समय निकाल कर एक बार आप भी जरुर जाकर आए व् उक्त आन्दित द्रश्य अपनी आँखों से महसूस करे

  इतिहास प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍वविद्यालय माउन्ट आबू

                   

ब्रह्माकुमारी का अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय भारत के राजस्थान राज्य के सिरोही जिले के माउण्ट आबू में स्थित है राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गयी अनेक गतिविधियों को सामान्यत: स्थानीय लोगों द्वारा ब्रह्माकुमारी के ईश्वरीय नियमों के आधार पर और वहाँ के उस क्षेत्र के अपने नियमों और कायदों के आधार पर संचालित किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर की जाने वाली गतिविधियों को विभिन्न देशों में स्थित कार्यालयों के माध्यम से संचालित किया जाता है, जैसे लण्डन, मॉस्को, नैरोबी, न्यूयॉर्क और सिडनी।

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍वविद्यालय एक आध्यात्मिक संस्‍था है। इसकी विश्‍व के 137 देशों में 8,500 से अधिक शाखाएँ हैं। इस संस्था का बिजारोपण 1930 के दशक में अविभाजित भारत के सिन्ध प्रान्त के हैदराबाद नगर में हुआ। लेखराज कृपलानी इसके संस्थापक थे। इस संस्था में स्त्रियों की महती भूमिका है।

इस संस्था का मत है कि 5000 वर्ष का एक विश्व नाटक चक्र होता है जिसमें चार युग होते हैं। प्रत्येक युग 1250 वर्ष का होता है और कलयुग व सतयुग के बीच में संगम युग भी होता है। श्रीकृष्ण सतयुग के आरम्भ में आते हैं, परमपिता परमात्मा शिव गीता उपदेश देते हैं,जो कि 5000 वर्ष पूर्व की भाँति कल्युग अंत में दिया गया था। वर्तमान में गीता उपदेश ब्रह्माकुमारी पंथ में मुरली के माध्यम से दिया जाता है।

                स्थापना

इस संस्‍था की स्‍थापना लेखराज कृपलानी ने की, जिन्हें यह संस्था प्रजापिता ब्रह्मा मानती है।

दादा लेखराज अविभाजित भारत में हीरों के व्‍यापारी थे। वे बाल्‍यकाल से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे। 60 वर्ष की आयु में उन्‍हें परमात्‍मा के सत्‍यस्‍वरूप को पहचानने की दिव्‍य अनुभूति हुई। उन्‍हें ईश्‍वर की सर्वोच्‍च सत्‍ता के प्रति खिंचाव महसूस हुआ। इसी काल में उन्‍हें ज्‍योति स्‍वरूप निराकार परमपिता शिव का साक्षात्‍कार हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे उनका मन मानव कल्‍याण की ओर प्रवृत्‍त होने लगा।

उन्‍हें सांसारिक बंधनों से मुक्‍त होने और परमात्‍मा का मानवरूपी माध्‍यम बनने का निर्देश प्राप्‍त हुआ। उसी की प्रेरणा के फलस्‍वरूप सन् 1937 में उन्‍होंने इस विराट संगठन की छोटी-सी बुनियाद रखी। सन् 1937 में आध्‍यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा अनेकों तक पहुँचाने के लिए इसने एक संस्‍था का रूप धारण किया।

इस संस्‍था की स्‍थापना के लिए दादा लेखराज ने अपना विशाल कारोबार कलकत्‍ता में अपने साझेदार को सौंप दिया। फिर वे अपने जन्‍मस्‍थान हैदराबाद सिंध (वर्तमान पाकिस्‍तान) में लौट आए। यहाँ पर उन्‍होंने अपनी सारी चल-अचल संपत्ति इस संस्‍था के नाम कर दी। प्रारंभ में इस संस्‍था में केवल महिलाएँ ही थी।ब्रह्मकुमारी की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी का १०४ वर्ष की उम्र में माउण्ट आबू के ग्लोबल हास्पिटल में २७ मार्च २०२० शुक्रवार को तड़के २ बजे देहावसान हो गया बाद में दादा लेखराज को ‘प्रजापिता ब्रह्मा’ नाम दिया गया। जो लोग आध्‍या‍त्मिक शांति को पाने के लिए ‘प्रजापिता ब्रह्मा’ द्वारा उच्‍चारित सिद्धांतो पर चले, वे ब्रह्मकुमार और ब्रह्मकुमारी कहलाए तथा इस शैक्षणिक संस्‍था को ‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍व विद्यालय’ नाम दिया गया।

इस विश्‍वविद्यालय की शिक्षाओं (उपाधियों) को वैश्विक स्‍वीकृति और अंतर्राष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त हुई है।

     एक आध्यात्मिक नेता के रूप में महिलाओं की भूमिका

ब्रह्माकुमारीज़ महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाली विश्व में सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है। इस संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने माताओं और बहनों को शुरू से ही आगे रखने का फैसला लिया और इसी के कारण विश्व की अन्य सभी आध्यात्मिक और धार्मिक संस्थानों के बीच में ब्रह्माकुमारीज़ अपना अलग अस्तित्व बनाये हुए है। पिछले 80 वर्षों से इनके नेतृत्व ने लगातार हिम्मत, क्षमा करने की क्षमता और एकता के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता को साबित किया है।

हालांकि सभी शीर्ष व्यवस्थापकीय पदों पर महिलायें नेतृत्व करती हैं लेकिन यह शीर्ष की महिलायें हमेशा अपने निर्णय भाईयों के साथ मिलजुल कर लेती हैं। यह सहभागिता और आम सहमति के साथ नेतृत्व का एक आदर्श है जो सम्मान, समानता और नम्रता पर आधारित है। यह एक कुशल और सामंजस्यपूर्ण अधिकारों के उपयोग का उदाहरण रूप है।


ब्रह्माकुमारीज़ की मूल शिक्षाएँ  एवं सिद्धांत उन के ‘राजयोग कोर्स’ द्वारा प्राप्त किए जा सकते हैं |  यह  कोर्स आत्मा और तत्वों के बीच के आपसी संबंध की वास्तविक समझ प्रदान करता है | साथ-ही-साथ  आत्मा, परमात्मा और भौतिक विश्व के बीच परस्पर सम्बन्ध की समझ भी दी जाती है | इस कोर्स  के विभिन्न सत्र आपकी आंतरिक यात्रा को सक्षम और प्रभावशाली बनाने में मदद करेंगे

 

जनचेतना द्वारा अन्य धार्मिक संस्थानों व् अन्य जगहों का भ्रमण कर आपको रूबरू करवाया जायेगा देखते रहे जनचेतना

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